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शब्द का अर्थ

दाम (न्)  : पुं० [सं०√दो (खण्ड करना)+मनिन्] १. रस्सी। रज्जु। २. माला। हार। ३. ढेर। राशि। ४. भुवन। लोक। ५. राजनीति की चार प्रकार की युक्तियों में से वह जिसमें शत्रु को धन देकर वश में किया जाता है। जैसे—साम, दाम, दंड और भेद सभी तरह से वे अपना काम निकालते हैं। विशेष—यद्यपि दाम का एक अर्थ धन भी है, पर जान पड़ता है कि राजनीतिक क्षेत्र वाला दाम का उक्त अर्थ उसके रस्सी वाले अर्थ के आधार पर विकसित होकर लगा है, और इसका आशय रहा होगा-किसी को धन देकर अपने जाल में फँसाना या बाँधकर अपनी ओर करना। यहाँ यह भी ध्यान रहे कि फारसी में दाम का एक अर्थ जाल या फंदा भी है। पुं० [यब० ड्रैम (चाँदी का एक सिक्का) से सं० द्रम्म, फा० दाम] १. प्राचीन भारत का एक छोटा सिक्का जो एक दमड़ी के तीसरे भाग और एक पैसे के चौबीसवें भाग के बराबर होता था। मुहावरा—दाम-दाम भर देना=जितना देन या ऋण हो, वह सब पूरा पूरा चुका देना। कुछ भी बाकी न रखना। २. सिक्कों आदि के रूप में वह धन जो कोई चीज खरीदने पर बदले में उसके मालिक को दिया जाता है। कीमत। मूल्य। विशेष—यह शब्द अपने पुराने अर्थ के आधार पर बहुवचन में बोला जाता था। जैसे—इस कपडे के कितने दाम होंगे। अर्थात् दाम नाम के कितने सिक्के देने पड़ेंगे। परंतु आज-कल इसका प्रयोग अधिकतर एकवचन के रूप में ही होता है। जैसे—इस पुस्तक का क्या दाम है। मुहावरा—दाम उठना=किसी चीज का जो उचित मूल्य हो या उसमें जो लागत लगी हो, वह बिकने पर मिल जाना। दाम करना=कोई चीज खरीदने के समय कुछ घटा-बढ़ाकर उसका दाम या भाव निश्चित करना। दाम तै या निश्चित करना। दाम खड़ा करना या खड़े करना=उचित मूल्य प्राप्त करना। कीमत ले लेना। दाम चुकाना=(क) कीमत या मूल्य दे देना। (ख) दाम करना। (देखें ऊपर) दाम भरना=कोई चीज खो जाने या टूट-फूट जाने पर उसके मालिक को उसका दाम चुकाना या देना। दाम भर पाना=पूरा-पूरा मूल्य प्राप्त कर लेना। ३. धन। रुपया-पैसा। जैसे—दाम खरचने पर सब काम हो जाते हैं। ४. सिक्का। मुहावरा—दाम के दाम चलाना=अपने अधिकार या प्रभुत्व के बल पर अनोखे और विलक्षण काम या मनमाना अँधेर करने लगना। (एक भिश्ती के राजा बन जाने पर चमड़े के सिक्के चलाने के प्रवाद के आधार पर) ५. जाल। पाश। फंदा। स्त्री० दामिनी। उदाहरण—मुकुट नव-घन दाम।—सूर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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